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अरुण हिंदी शब्दकोश
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: अभिजात वर्ग :
अभिजात-वर्ग औद्योगिक पूँजीवाद के कारण उभरा वह वर्ग था जो आर्थिक रूप से मालामाल था। जिसके पास लाखों के आभूषण-जेवरात थे, तो धन-माल की कहीं कोई कमी नहीं थी। इस वर्ग को सामाजिक-राजनीतिक विशेषाधिकार प्राप्त था। माक्र्स के शब्दों में ‘privileges bestowed by blood’। ऐसे विशेषाधिकार जरूरी थे जो रक्त-सम्बन्ध के कारण प्राप्त थे अर्थात् जो लोग वंशगत अभिजात थे, उनको चर्च में उँची जगहें मिलती थीं। चर्च और फौज दोनों में कुछ जगहें ऐसी होती थीं जो बेच ली जाती थीं। एक तरफ तो सामन्ती ढंग से अभिजात वर्ग अपने बेटों के लिए फौज और चर्च में कुछ पद सुनिश्चित कर लेता था, दूसरी तरफ सौदागिरी ढंग से ये पद बेचे जाते थे। ब्रिटिश पूँजीपति वर्ग को अभिजात-वर्ग ने रहन-सहन के तौर-तरीके जैसे भी वे थे, सिखाए, उसके लिए फैशन ईजाद किए, उसने फौज और जलसेना के लिए अफसर जुटाए। इस तरह अभिजात वर्ग विशेष दबाव समूह के रूप में अपना दखल और दबदबा ब्रिटेन और उसके उपनिवेशों में बनाए हुआ था। भारत में भी अभिजात-वर्ग की पैठ बहुत अधिक थी। बाद में यहाँ यह एक प्रवृत्ति के रूप में फैला और जनमानस को अपनी अभिजात मानसिकता में दबोच लिया। वर्तमान में परिवारवाद, वंशवाद, भाई-भतीजावाद की जड़े अभिजात वर्ग की इसी अंतहीन शृंख्ला से जुड़ी हुई हैं। जनतंत्र में आम-आदमी बहिष्कृत है, कारण की अभिजात-वर्ग पहले से कुंडली मारे बैठा हुआ है। इंग्लैंड के प्रसिद्ध कवि शेली ने ब्रिटिश सदन के सन्दर्भ में जो कहा था वह आज भी समीचीन है, ‘‘अभिजात वर्ग के पास ‘हाउस आॅफ पियर्स अथवा हाउस आॅफ लाॅडर्स नाम का सदन अभी भी है, इसके सिवा बादशाह भी इसी अभिजात-वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए आम-जनता के लिए कम-से-कम एक सदन तो होना चाहिए जहाँ उसके प्रतिनिधि इकट्ठे हो सकें।’’
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